भारतीय राजनीति में चुनावी सगरी ने फिर से उम्मीद की लहर उत्पन्न की है, और इस बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच समझौते की खबरें हर जगह गूंज रही हैं। लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में सीटों का बंटवारा और समझौता एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही अपने अंदर संघर्ष और सफलता की चाह में हैं। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेताओं के बीच संवाद की बातें अंतिम चरण में हैं, और जल्द ही तय होगा कि चुनावी मैदान में कौन किसी को कैसे चुनाव लड़ाने का मौका देगा।
दिल्ली में लोकसभा के सात सीटों का बंटवारा एक बड़ी चुनौती है, और इसका ठीक समाधान करने के लिए आप और कांग्रेस के बीच चर्चाएं चल रही हैं। दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की संभावना भी खड़ी है, जिससे उन्हें भाजपा के खिलाफ मिलकर मजबूती मिल सके।
आप के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में सीटों का बंटवारा बहुत देर से हो रहा है और इसका निर्णय जल्दी लिया जाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले एक-दो दिनों में समझौता हो सके।
कांग्रेस के नेता भी इस मामले पर चुप्पी साधते हुए रहे हैं, लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इस बात का साथ दिया कि पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार दिल्ली के सात सीटों में छः सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि आप के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे।
आप के नेता अनुमानित रूप से इस बात की पुष्टि करते हैं कि अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होता है, तो पार्टी अगले कुछ दिनों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है।
इस बीच, कांग्रेस के नेता भी चुनावी सीटों के बारे में अपने धारणा को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के सात सीटों पर कांग्रेस को चार सीटें मिलनी चाहिए, जो पिछले चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर न्याय्य भी होगा।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चर्चाएं अभी भी जारी हैं, और दोनों पार्टियों के नेताओं की बैठकों में निर्णय लिए जाएंगे। जिससे चुनावी मैदान में किसी भी पार्टी को मजबूत गठबंधन की मिले और भाजपा के खिलाफ टक्कर देने का मौका मिले।