भारतीय राजनीति में नए मोड़ और मोर्चे हमेशा ही रोशनी में रहते हैं। हाल ही में, चंडीगढ़ नगर निगम के मेयरल चुनाव में हुए संवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार को मेयरल पद के लिए कानूनी रूप से निर्वाचित घोषित किया गया। यह निर्णय चुनावी प्रक्रिया के प्रति सुप्रीम कोर्ट की निष्ठा को दर्शाता है।
मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बैलेट पेपरों की जांच की और उन्हें वैध मानकर एक नई मतगणना का आदेश दिया। इस संदर्भ में, रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा बैलेट पेपर पर लगाए गए निशानों की भी जांच की गई।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने निर्णय लिया कि अवैध बैलेट पेपरों को वैध माना जाए और नई मतगणना करने के आदेश दिए जाएं। इससे यह स्पष्ट होता है कि चुनावी प्रक्रिया में हुई गई गलतियों को सुधारने की संवेदनशीलता बनी रही है।
Legal action against Returning Officer
सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह के खिलाफ CrPC की धारा 340 के तहत मुकदमा शुरू करने के लिए एक उपयुक्त मामला बताया। इसका मतलब है कि अनिल मसीह के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होने वाली है।
अदालत ने इस मामले में रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को निर्देश दिया है कि वह अधिकारी को कारण बताओं के साथ एक नोटिस जारी करें। इससे स्पष्ट होता है कि अनिल मसीह के कार्य की जांच होगी और उनके खिलाफ कदम उठाए जाएंगे।
इस निर्णय के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की और लोकतंत्र को बचाने के लिए धन्यवाद दिया।
इस संघर्ष और न्याय के अद्वितीय परिणाम के माध्यम से, भारतीय लोकतंत्र ने एक और बार अपनी अद्वितीयता को साबित किया है। यह फैसला सिर्फ चंडीगढ़ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक संदेश है कि न्याय के माध्यम से लोकतंत्र की बलिदानी संरक्षा की जाए।
इस प्रकार, यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल चंडीगढ़ के नवनिर्वाचित मेयर के लिए बल्कि पूरे भारतीय लोकतंत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।