आज के दौर में, जगत की अनेक जनजातियों और समुदायों के बीच अनेक प्रकार के विविधताओं का संगम देखा जा सकता है। यहां जिम्बाब्वे के एक अद्वितीय समुदाय “वाडोमा” की बात की जा रही है, जो बहुत ही विशेष और अद्वितीय है।
hypocritical people:वाडोमा जनजाति
2 Toed People:वाडोमा, जिम्बाब्वे के उत्तरी क्षेत्र में बसे एक जनजाति हैं, जो पारंपरिक रूप से हंटर-गैदर जीवनशैली का अनुसरण करते हैं। ये लोग कन्येम्बा क्षेत्र में बसे हैं, और अपने प्राचीन और विलक्षण जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। वाडोमा जनजाति में एक विशेष रूप से जातीय रोग है, जिसे “डोमा” या “वाडोमा” जातीय रोग कहा जाता है। इस रोग के कारण कुछ सदस्यों के पैरों में दोंगलापन होता है। दोंगलापन का अर्थ है कि किसी व्यक्ति के पैर की उंगलियाँ सामान्य अंग नहीं होतीं, बल्कि वे अलग-अलग होती हैं या अधिक या कम होती हैं। इस रूप में पैर का आकार सामान्य से भिन्न होता है और व्यक्ति की चाल अथवा उनकी चलने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। यह रोग इस समुदाय में अधिक मात्रा में पाया जाता है यह एक आनुवांशिक विकार है जो हजारों साल पहले शुरू हुआ और यह केवल इस जनजाति में ही पाया जाता है।जबकि इसका प्रामाणिक कारण अभी तक अज्ञात है।
A human race that will soon become extinct:डोगलापन और आगामी पीढ़ियों के अभाव का खतरा
लेकिन दुर्भाग्यवश, वाडोमा समुदाय की स्थिति बहुत ही कठिन है। उन्हें सरकार द्वारा उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय उद्यान से निकालकर दूरस्थ गाँव में बसाया गया है, जहाँ उन्हें खाने की शिकार करने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद, जिम्बाब्वे के स्वतंत्रता के बाद भूमि सुधार ने उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं लाया।
वाडोमा समुदाय के अनुत्तरण के अंत की ओर जाने के लिए कठिनाईयों की सीमा बढ़ती है।
वाडोमा समुदाय की संख्या में दोगलापन वाले लोगों की गिनती अब गिर रही है, और इस जाति के लोगों के बीच 2 पीढ़ियों के भीतर उनकी अभाव हो जाने का खतरा है। उनकी जीवनशैली और उनके संघर्षों की कहानी हमें विविधता और अद्वितीयता की महत्वपूर्णता को समझने में मदद करती है। इनकी समस्याओं को समझना और उनकी सहायता करना हम सभी का कर्तव्य है।
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