2024 income tax reform | Budget 2024| जानिए, बजट 2024 के बाद आपको इनकम टैक्स कितना देना होगा ?

आयकर सुधार एक राष्ट्र की आर्थिक नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन का हिस्सा है जो सीधे रूप से नागरिकों के आर्थिक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है।

2024 income tax reform
2024 income tax reform

आगामी वित्तीय वर्ष, 2024-25, के लिए कोई आयकर स्लैबों में कोई परिवर्तन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किया गया नहीं गया है, जो अंतरिम बजट 2024 में उनके भाषण में घोषित किया गया है।

आयकर कानूनों के अनुसार, जिस व्यक्ति की कोई व्यापारिक आय नहीं है, उसे प्रति वर्ष नए और पुराने आयकर विधियों में से एक चयन करना आवश्यक है। इसके अर्थ है कि एक व्यक्ति एक वर्ष नए आयकर विधि का चयन कर सकता है और अगले वर्ष पुरानी आयकर विधि का चयन कर सकता है।

आमतौर पर, आयकर सुधार का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के लिए करों को सुधारकर उन्हें आर्थिक रूप से सही समर्थन प्रदान करना होता है। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि कोई नए आयकर नियम या सुधार जोड़े जा रहे हैं वे सामाजिक और आर्थिक रूप से सरकार के स्थिति को मजबूती प्रदान करते हैं।

2024 में आयकर सुधार के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने के लिए, सरकार के बजट और आयकर सुधारों के संदेशों की अवलोकन की जरुरत है। निम्नलिखित एक आसान भाषा में सारांश दिया गया है:

आयकर दरों में कोई बदलाव: 2024 में किसी भी नगरिक को किसी भी आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन का सामना नहीं करना पड़ा। यह मुख्यत: नागरिकों पर कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं डाला गया है, जो 2024-25 के लिए संघीय वित्तमंत्र निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया।

नए और पुराने शास्त्रों के साथ जारी: नए सरकारी निर्माण के बाद इस बजट को केंद्र सरकार ने देश में आगामी लोकसभा चुनावों के बाद पेश किया, और इसमें न तो पुराने और न ही नए आयकर शास्त्रों में कोई परिवर्तन किया गया।

बजट 2023 की तुलना में: पिछले बजट 2023 में, मोदी सरकार ने आयकर के कई नए नियमों को लाया था, जिनमें कुछ नए आयकर दरें और शीघ्र स्वीकृति प्रक्रियाएं शामिल थीं। इसमें किसानों और गरीबों के लिए कई अनुकूलताएं शामिल थीं, जिससे सबका साथ, सबका विकास का उद्देश्य मजबूत हो गया था।

आयकर सुधार में नागरिकों की भागीदारी: सरकार ने नागरिकों को भी आयकर सुधार में शामिल करने के लिए आमंत्रित किया है, ताकि उनकी राय और सुझावों को ध्यान में रखकर नीतियों में कोई भूल न हो।

आर्थिक स्थिति की दृष्टि से: सरकार ने आर्थिक स्थिति की दृष्टि से भी आयकर सुधारों को लेकर सही कदम उठाने का आदान-प्रदान किया है, ताकि आम नागरिकों को उनकी आर्थिक स्थिति के हिसाब से आयकर देने में कोई कठिनाई न आए।

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